अखिल भारतीय रंगवा सुधार समिति का संक्षिप्त परिचय

सन् 1988 का वह समय था, जब रंगवा जाति के एक मात्र संगठन अखिल भारतीय रंगवा समाज स्तीत्व विहीन हो गया था। प्रत्येक गांव में रंगवा जाति के सदस्य दो-दो, चार-चार गुटो में विभक्त थे। लोगों के दिमाग में अपनों से ही नफरत और घृणा का भाव था। आलम यह था कि रास्ते में कोई किसी को देखता तो मुंह मोड़ लेता या रास्ता बदल लेता उन्हीं दिनों समिति के संस्थापक सदस्य श्री लक्ष्मण प्रसाद और श्री प्रदीप कुमार जब भी मिलते थे उनके बीच अक्सर यही बात होती थी कि कैसे बिरादरी को  पुनः संगठित किया जाय। इनके जैसे बहुत से अन्य युवकों के मन में भी इसी तरह का  विचार उमड़ रहा था, बुजुर्ग हताश थे। सभी लोग अपनी-अपनी तरह से सोचते थे, परंतु इन बिखरे हुए मोतियों को अपने घर पर बैठक आयोजित कर, एक माला में पिरोने का कार्य किये श्री श्याम नारायण जी और इस तरह जो माला बना उसका नामकरण हुआ- रंगवा सुधार समिति, छोटकी सेरिया, बलिया।

उद्देश्य

रंगवा सुधार समिति बनाने का उद्देश्य था, ऐसा ही संगठन रंगवा निवासित प्रत्येक गांव मे स्थापित कर जनपद, राज्य और फिर अखिल भारतीय स्तर पर रंगवा सुधार समिति का गठन किया जाय, जिसके माध्यम से जाति को संगठित करके निम्नलिखित कार्य किया जाय।

  •  रंगवा जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल कराने का प्रयास।
  •  शिक्षा के गिरते स्तर को बढ़ाना।
  • जाति मे पुनः पनप रहे दहेज प्रथा को समूल नष्ट कराना।

सफर

रंगवा सुधार समिति द्वारा अब तक लगभग 33 वर्षों का सफर तय किया जा चुका है, जिसमें बहुत ही उतार-चढ़ाव आया हैं। रंगवा सुधार समिति, छोटकी सेरिया का गठन 15 जुलाई 1988 को हुआ। पहली कार्यकारिणी अपने जमाने के मशहूर ट्रेड यूनियन लीडर स्व0 श्री शिव बच्चन जी के अध्यक्षता मे गठित हुआ, जिसमें अन्य मुख्य पदाधिकारी थे-

  • उपाध्यक्ष- श्री बसगीत प्रसाद
  • महामंत्री- श्री लक्ष्मण प्रसाद
  • कोषाध्यक्ष- श्री श्याम नारायण प्रसाद
  • कार्यकारिणी सदस्य- 1- श्री गणपति राम,  2-  श्री रमाशंकर साधु, 3-  श्री  पूर्णमासी प्रसाद, 4-  श्री हृदयानंद , ५- श्री खेदु राम

अध्यक्ष श्री शिव बच्चन जी का विचार नवयुवकों से मेल नहीं खाने के कारण उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया उस विषम परिस्थिति में श्री प्रदीप कुमार को दिनांक 11.09.1988 को नया अध्यक्ष मनोनीत किया गया। उसी दिन श्री गणेश प्रसाद, पुत्र स्वर्गीय इंद्रदेव प्रसाद को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। इस कार्यकारिणी के समाप्त होने के पश्चात श्री बसगीत जी के अध्यक्षता में निम्नांकित कार्यकारणी बनी।

  • अध्यक्ष— श्री बसगीत प्रसाद
  • उपाध्यक्ष—श्री श्याम नारायण प्रसाद
  • महामंत्री— श्री हृदयानंद प्रसाद
  • कोषाध्यक्ष— श्री रमाशंकर साधु

यह कार्यकारणी विभिन्न उतार चढ़ाव पार करते हुए दिनांक 08.01.1994 तक सफर की। वर्षो से टूटी हुई परंपरा रंगवा जाति के जनपद स्तरीय सम्मेलन मई 1993 मे कराने का श्रेय इसी कार्यकारिणी को जाता है। पूर्व में बलियाँ जनपद स्तरीय सम्मेलन को बईसी के नाम से जाना जाता था।

08 जनवरी 1994 को समिति द्वारा निम्नलिखित कार्यकारिणी चुनी गयी।

  • अध्यक्ष—   श्री रामचंद्र प्रसाद
  • उपाध्यक्ष— श्री रमाशंकर साधु
  • महामंत्री—  श्री हृदयानंद प्रसाद
  • कोषाध्यक्ष- श्री छठ्ठू प्रसाद
  •  रंगवा जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल कराने का प्रयास।
  •  शिक्षा के गिरते स्तर को बढ़ाना।
  • जाति मे पुनः पनप रहे दहेज प्रथा को समूल नष्ट कराना।

प्रथम जिला स्तरीय सम्मेलन

दिनांक 21 मई 1993 एवं 22 मई 1993 को रंगवा सुधार समिति, छोटकी सीरिया, बलिया, उत्तर प्रदेश के सौजन्य से जिले का प्रथम सम्मेलन बाबा पुरेश्वर नाथ मंदिर, ग्राम- पुरा, जनपद- बलिया के प्रांगण में संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्री रमापति राम, केवरा, बलिया ने किया। इसमें शैक्षिक, आर्थिक तथा  सामाजिक विकास कैसे हो पर विचार प्रकट करने के साथ वक्ताओं ने प्रमुख रूप से निम्नलिखित  दो बिंदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया।

  •   प्रत्येक गांव में ग्राम स्तर की समिति का गठन करना।
  •  रंगवा जाति को उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल कराना।

इस सम्मेलन में स्वर्गीय प्रभुनाथ प्रसाद जी, तत्कालीन अध्यक्ष, अखिल भारतीय रंगवा समाज को भी आमंत्रित किया गया था परंतु किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो सके लेकिन अपना विचार पत्र के माध्यम से भेजे थे जो सम्मेलन में सभी सदस्यों को पढ़कर सुनाया गया। यह सम्मेलन सुधार समिति के लिए नया ही था, परंतु युवाओ के उत्साह और बुजुर्गों के अनुभव के सामंजस्यता से शत प्रतिशत सफल रहा। इसमे निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गये-

  • अध्यक्ष-    श्री प्रदीप कुमार
  • उपाध्यक्ष- श्री सिंहासन प्रसाद
  • महामंत्री-  श्री कन्हैया प्रसाद
  • कोषाध्यक्ष- श्री रमापति प्रसाद
  •  रंगवा जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल कराने का प्रयास।
  •  शिक्षा के गिरते स्तर को बढ़ाना।
  • जाति मे पुनः पनप रहे दहेज प्रथा को समूल नष्ट कराना।

दूसरा जिला स्तरीय सम्मेलन

दिनांक 27 एंव 28 जून 1994 को श्री प्रदीप कुमार जी की अध्यक्षता मे संपन्न हुआ। इस सम्मेलन मे जाति की चहु तरफा विकास एंव रंगवा जाति को उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग में शामिल कराने के प्रयास की समीक्षा के साथ साथ आगे की कार्य योजना पर विचार-विमर्श किया गया। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि भूतपूर्व सांसद और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री माननीय श्री जगन्नाथ चौधरी जी थे। सांसद महोदय ने उस सम्मेलन में आश्वासन दिया कि वे उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार से अनुरोध करेंगे कि रंगवा जाति को पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल कर लिया जाय। माननीय सांसद महोदय द्वारा प्रधानमंत्री भारत सरकार को लिखा गया उस पत्र की प्रति इस वेब साइट मे आगे दिया गया है। इस महासभा मे निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए-

  • अध्यक्ष-   श्री प्रदीप कुमार
  • उपाध्यक्ष- श्री सिंहासन प्रसाद
  • महामंत्री-  श्री शिव शंकर प्रसाद
  • कोषाध्यक्ष- श्री रमापति प्रसाद

तीसरा जिला स्तरीय सम्मेलन

दिनांक 20 एंव 21 मई 1995 को श्री प्रदीप कुमार जी की अध्यक्षता मे संपन्न हुआ। इस सम्मेलन मे रंगवा जाति को उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग के राज्य सूची और केंद्रीय सूची मे सम्मिलित कराने के प्रयासो पर विशेष चर्चा और उसमे और शीघ्रता लाने पर बल दिया गया। सम्मेलन मे निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए-

  • अध्यक्ष-   श्री शम्भू नाथ प्रसाद
  • उपाध्यक्ष- श्री सिंहासन प्रसाद
  • महामंत्री-  श्री शिव शंकर प्रसाद
  • कोषाध्यक्ष- श्री रमापति प्रसाद

रंगवा सुधार समिति, बलिया के प्रयासों से 06 सितंबर 1995 को उत्तर प्रदेश सरकार ने रंगवा जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने का शासनादेश जारी किया। तत्पश्चात भारत सरकार ने भी रंगवा जाति को उत्तर प्रदेश के संदर्भ में अन्य पिछड़ा वर्ग के केंद्रीय सूची में शामिल करने का शासनादेश दिनांक 06 दिसम्बर 1996 को जारी कर दिया। वर्षों से चीर प्रतिक्षित लक्ष्य प्राप्त हो जाने पर समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों एवं आम रंगवा जन में खुशी की लहर दौड़ गयी सब ने समझा हमारा लक्ष्य पूरा हो गया। धीरे-धीरे सदस्यों एवं पदाधिकारियों में शिथिलता आने लगा और यह समिति लगभग निष्क्रिय हो गयी। परंतु समिति के कुछ सदस्यों के मन में हमेशा एक विचार कौंधता रहता था कि, रंगवा जाति की जब तक अखिल भारतीय स्तर पर पहचान नहीं होगा और अखिल भारतीय स्तर पर रंगवा जाति का एक मजबूत संगठन नहीं बनेगा तब तक सफलता अधूरा है। इन्ही दोनो उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु समिति के संस्थापक सदस्यों एवं कुछ सक्रिय सदस्यों ने पुनः 2016 से कार्य करने का निश्चय किया और समिति द्वारा 20 अगस्त 2016 को रंगवा जाति का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन बांसडीह, जनपद- बलिया, उत्तर प्रदेश में संपन्न कराया गया, जिसमें देश के कोने-कोने एवं नेपाल से रंगवा जाति के सदस्य सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन की उपलब्धि यह रही कि रंगवा जाति के इतिहास में पहली बार जनपद- महाराजगंज एवं सिद्धार्थनगर तथा नेपाल से रंगवा जाति के सदस्य सम्मिलित हुए। इसके पूर्व किसी को ज्ञात नहीं था कि, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर और नेपाल में भी रंगवा जाति के सदस्य रहते हैं। उन  स्थानों पर रंगवा जाति के सदस्यों की खोज अखिल भारतीय रंगवा सुधार समिति की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। इसके पश्चात विभिन्न स्थानों पर रंगवा जाति की सम्मेलन/मीटिंग करा कर समिति के शाखाओं का गठन किया गया। इस समय अखिल भारतीय रंगवा सुधार समिति रंगवा जाति का  राष्ट्रीय स्तर का संगठन है और इसका रजिस्ट्रेशन नंबर- 1609 है। रंगवा जाति के  राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों का विवरण अलग से विस्तार पूर्वक दिया गया है। उन्हीं प्रयासो का असर है कि,

  •  अब रंगवा जाति के सदस्य अपने नाम के साथ रंगवा लिखने और बोलने लगे है।
  • अभिभावक अपने बच्चों के नाम के साथ रंगवा टाईटल स्कूलो मे लिखवाने लगे है।
  •  सोशल मीडिया (फेसबुक और व्हाट्स एप्प) पर आज हजारो युवक-युवतियां अपने नाम के साथ रंगवा टाईटल लिखे है ।
  •  एक अंतरराष्ट्रीय संस्था Forebears ने  रंगवा जाति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग 791766 देकर मान्यता दिया है।

इसी तरह प्रयास चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब रंगवा जाति किसी पहचान की मोहताज नहीं रहेगी और रंगवा जाति के सदस्य भी गर्व से अपने आपको रंगवा कहेंगे, बोलेंगे।